इतिहास में ख़ुद को स्थापित करने हेतु ख़ुद से Commitment करना पड़ता है.

नमस्कार !
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आज बात करते है, इतिहास में खुद को स्थापित करने के लिए खुद से कमिटमेंट क्यों करना पड़ता है और यदि करते है तो इसके क्या परिणाम होते है. इसे समझने के लिए फिर एक नई कहानी लेके आया हु आपलोगों के लिए, समय इतिहास के पन्नो को पलटने का है मै 1989 के उन अविस्मरणीय छनो को सहेज लाया हु जिसने ना केबल भारत के इतिहास को बल्कि विश्व के पुरे खेल जगत को एक नई दिशा दिया. ना जाने ये घटनाये हमें सदियों तक प्रेरित करता रहेगा और हमें होना भी चाहिये Your Commitment Creates History. इतिहास अमर बनता है उनलोगों को जो खुद के कमिटमेंट पे टिके रहते है बात 1989 कि है इंडिया वनाम पाकिस्तान का 5 वा  दिन का टेस्ट मैच चल रहा था 22 रन पे इंडिया का 4 विकेट गिर चुका था दुसरे छोड़ पे रिसेंटली मैरिड नवजोत सिंह सिधु और एक छोर पे 16 साल का घुंघराले जुल्फों बाला एक लड़का आ खड़ा हुआ. पाकिस्तान कि कोशिश थी मैच जीत लिया जाये तो वही इंडिया मैच ड्रा करने के लिए जूझ रहा था और वो भी तब जब अजहर उद्दीन, रवि शास्त्री, श्रीकांत जैसे धाकड़ बल्लेवाज पवेलियन लौट चुके थे और इंडिया का कुल स्कोर मात्र 22 रन था वो भी 4 विकेट के नुकसान पे. ये दौर था वसीम अकरम और बकार युनुस का जिनके बौल को मरना तो दूर देख पाना मुश्किल हो रहा था, पिच पे घास थी और जितने भी प्लेयर्स थे ये उनकी wording थी इससे ज्यादा तेज पिच हमने जिन्दगी में नहीं देखा. बौल्लिंग लाइन से वकार 150 के स्पीड से 16 साल के लड़के के लिए बौल फेका लड़के ने बौल को हुक किया और बौल बल्ला का अन्दुरुनी किनारा छुते हुए लड़के के नाक पे जा के लगा च्चप और वो वही पिच पे गिर गया. दुसरे छोड़ से सिधु दौड़ते आये पवेलियन से फिजियोथेरेपिस्ट दौड़ते आये पाक के सारे प्लेयर्स पिच के तरफ दौरते आ रहा है ये देखने कि लिये कि आखिर हुआ क्या है. उस लड़के के नाक से धर-धर खून बहता जा रहा था. पूरा ग्लव्स रेड हो चूका था. डॉक्टर ने खून बंद करने के लिए नाक पे रुई रखा लेकिन थोरी ही देर में सारा रुई लाल हो गया, टी-शर्ट में काफी खून लगा हुआ है और इस सिचुएशन में सिधु में उस लड़के से कहा तू चला जा पवेलियन 1-2 घंटे बाद मन करे तो आ जाना तब तक सारे पेशर वेशर निपट लेंगे डॉक्टर भी उसे स्ट्रेचर पे ले जाने के लिए बिल्कुल तैयार. पाकिस्तानी प्लयेर के दिमाग में ये बात बैठ चुकि थी इस लड़के के पास पवेलियन जाने के अलाबा और कोई रास्ता नहीं बचा है यहाँ तक कि स्टेडियम में बैठा हर शक्स चाह रहा था लड़का पवेलियन लौट जाये. टी. वी. पे देख रहे लोगो ने तो यहाँ तक कह दिया था कि 16 साल के लड़के को मैच खेलने के लिए अनुमति ही नहीं देनी चाहिए. वहा उपस्थित हर शक्श को उस लडके पे तरस आ रहा था सिवाये उस खुद लड़के के. तरह तरह के wording सुनने के बाद लड़के ने दो शब्द बोला मै खेलेगा – मै खेलेगा ! और इस दो wording ने पुरे क्रिकेट जगत को हिला कर रख दिया क्योकि इसके बाद जो हुआ वो किसी ने सोचा नहीं था और एक बार फिर से बौलिंग लाइन पे वकार युनुस batting लाइन पे वो लड़का 2 फीट पीछे जाके पहले ही खड़ा हो जता है मनो जैसे उसने बॉल को आने से पहले ही प्रिडिक्ट कर लिया हो और इस बार बॉल को बखुबी खेला बौन्द्री लाइन के बाहर 4 रन के लिए. उस समय चौका मारने के बाद किसी कि इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि बकार कि आँखों में कोई झांक सके लेकिन उस लड़के ने चौका मारने के बाद बकार के आँखों में आँखे डालकर मनो उसने उसे चुनौती दिया “ तू फेक जितना तेज फेक सकता है मै डरने बाला नहीं” और क्रिकेट के दुनिया में एक नया स्टार का जन्म हो चूका था सचिन के रूप में. अब यहाँ सोचने बाली बात यह है कि वो चाहता तो चोट लगने के बाद पवेलियन लौट सकता था और उसे ऐसा करने के लिए कोई कायर भी नहीं कहता क्योकि ये वो दौड़ था जब बड़े – बड़े धाकर बल्लेबाज बॉल को खेल नहीं पा रहे थे लेकिन इतिहास बदलने बाले कभी अपने कमिटमेंट से पीछे नहीं हटते और आपको जानकर हैरानी होगी उस मैच में सचिन ने अकेले 57 रन बनाये सिधु के साथ 101 रन कि पार्टनरशिप खेली और एक हारे हुए मैच को बचा लिया ड्रा कराके. वक्त आ गया है,  इन चीजो को सीखते/सिखाते आपसे बिदा लेने का फिर आपके लिए एक नया BLOG लेके आऊंगा तब तक के लिए नमस्कार! आपका दिन शुभ हो!

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